Wednesday, April 6, 2016

श्रीदुर्गासप्तशती shriDurgashaptasati,

श्रीदुर्गासप्तशती shriDurgashaptasati,

श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनाम्स्त्रोतम्
शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने |
यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गाप्रीता भवेत् सती ||
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचिनी |
आर्या दुर्गा जया चाद्यात्रिनेत्रा शूलधारिणी ||
पिनाकधारिणी चित्रा   चण्डघण्टा   महातपाः |
मनो बुद्धिरहङ्कारा चित्तरूपा चिता   चितिः ||
सर्वमन्त्रमयी    सत्ता   सत्यानन्दस्वरुपिणी |
अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः ||
शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा |
सर्वविद्या    दक्षकन्या       दक्षाविनाशिनी ||
अपर्णानेकवर्णा   च   पाटला   पाटलावती |
पट्टाम्बरपरिधाना     कलमञ्जीररञ्जिनी ||
अमेयविक्रमा  क्रूरा   सुन्दरी     सुरसुन्दरी |
वनदुर्गा  च  मातङ्गी  मतङ्गमुनिपूजिता ||
 ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा |
चामुण्डा  चैव   वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृतिः ||
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा |
बहुला          बहुलप्रेमा          सर्ववाहनवाहना  ||
निशुम्भशुम्भहननी             महिषासुरमर्दिनी |
मधुकैटभहन्त्री       च        चण्डमुण्डविनाशिनी ||
सर्वासुरविनाशा          च       सर्वदानवघातिनी |
सर्वशास्त्रमयी सत्या   सर्वास्त्रधारिणी    तथा ||
अनेकशस्त्रहस्ता  च  अनेकास्त्रस्य   धारिणी |
कुमारी चैककन्या  च   कैशोरी  युवती   यतिः ||
अप्रौढा    चैव    प्रौढा    च   वृद्धमाता    बलप्रदा |
महोदरी     मुक्तकेशी      घोररूपा     महाबला ||
अग्निज्वाला    रौद्रमुखी    कालरात्रितपस्विनी |
नारायणी    भद्रकाली   विष्णुमाया    जलोदरी ||
शिवदूती    कराली    च    अनन्ता   परमेश्वरी |
कात्यायिनी च  सावित्री   प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी ||
य    इदं    प्रपठेन्नित्यं     दुर्गानामशताष्टकम् |
नासाध्यं  विद्यते  देवि  त्रिषु लोकेषु   पार्वति ||
धनं   धान्यं  सुतं    जायां   हयं  हस्तिनमेव  च |
चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम् ||
कुमारीं पूजयित्वा  तु  ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम् |
पूजयेत्   परया   भक्त्या   पठेन्नामशताष्टकं ||
तस्य   सिद्धिर्भवेद्   देवि    सर्वेः     सुरवरैरपि |
राजानो दासतां  यान्ति  राज्यश्रियमवाप्नुयात् ||
गोरोचनालक्तककुङ्कुमेन
                                 सिन्दूरकर्पूरमधुत्रयेण   ||
विलिख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो
                               भवेत् सदा धारयते पुरारिः ||
भौमावास्यानिशामग्रे    चन्द्रे   शतभिषां    गते|
विलिख्य प्रपठेत् स्तोत्रं स भवेत् सम्पदां  पदम् ||
इति श्रीविश्वसारतन्त्रेदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं  समाप्तम् ||
जय माता दी
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनायें |
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी |
तृतीयं चन्द्रघण्तेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ||
पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च |
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ||
नवमं सिद्धिदात्री च नव दुर्गा प्रकीर्तिताः ||
मां अम्बे की आरती
ओ अम्बे तू है जगदम्बे काली , जय दुर्गे खप्पर वाली , तेरे ही गुण गायें भारती ,
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
तेरे जगत के भक्त जनों पर भीड. पडी है भारी मां , भीड. पडी है भारी ,
दानव दल पर टूट पडो मां -2 करके सिंह सवारी ,
सौ - सौ सिंहों से तू बलशाली ,अष्ट भुजाओं वाली , दुष्टों को तू ही ललकारती |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
नहीं मांगते धन और दौलत ना चान्दी ना सोना मां , ना चान्दी ना सोना,
हम तो मांगें मां तेरे मन में -2 एक छोटा सा कोना ,
सबकी बिगडी बनाने वाली ,लाज बचाने वाली ,सतियों के सत को संवारती |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
मां बेटे का है इस जग में बडा ही निर्मल नाता मां , बडा ही निर्मल नाता ,
पूत कापूत सुने हैं पर ना -2 माता सुने कुमाता ,
सबपे करुणा बरसाने वाली , अमृत बरसाने वाली ,नइया भंवर से उबारती |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
चरण - शरण में खडे हुए हैं ले पूजा की थाली मां , ले पूजा की थाली,
मानवाञ्छित फल देदो माता -2 जाये ना कोई खाली ,
सबके कष्ट मिटाने वाली , झोली भर देने वाली ,दुखियों के दुःख को निवारती |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
बोलो अम्बे मात की जय |